जी हाँ दोस्तों दुनिया एक दूसरे की मदद के बिना नहीं चल सकती है ये एक बड़ी सच्चाई है Helping Each Other Moral Story in Hindi दीप से दीप जलाओ.
कोशिश करे दूसरों की मदद के लिए आगे आये जितना हो सके बन सके हेल्प करे.
क्योंकि life में कभी भी कही भी किसी को भी help की जर्रुरत पड़ ही जाती है.
अगर आज आपने किसी की मदद की तू हो सकता है कल कोई तुम्हारी भी करे.
इसीलिए कहते है helping each other दीप से दीप जलाते चलो पता नहीं जिंदगी में फिर कभी कोई मौका मिले न मिले.
आईये जानते है इस inspirational story के जरिये से ईश्वर चन्द्र विद्यासागर का नाम तो आपने बड़े अच्छे से सुना या पढ़ा होगा, वे कलकत्ता में एक टीचर का कार्य करते थे ईश्वर जी बड़े ही उदार आदमी व सदाचार गुणों वाले थे.जो वेतन उनकी नौकरी से मिलता था उसमे से अपने घर परिवार के लिए उतना ही खर्च करते थे जितने में कि गुजारा हो सके.
बचा वाकी भाग वे दूसरे की जरूरत को पूरा करने में लगते थे विशेषता छात्रों की सहायता में खर्च कर देते थे.ऐसा करना उन्होंने अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण कार्य बन रख था और आजीवन उनका यही व्रत रहा.इस प्रेरणा दायक कहानी से सीख मिलती है ईश्वर चन्द्र विद्यासागर एक गरीब परिवार से तालूक रखते थे.
गरीबी में अपनी पढाई की और दूसरों की मदद के लिए हमेशा आगे आने में कोई भी कोताही नहीं करते थे.
एक दिन वे बाजार में चले जा रहे थे एक जवान युवक ने भिखारी की तरह उनसे एक पैसा माँगा वैसे तो विद्यासागर बहुत दानी तो थे ही परन्तु परीक्षा किये बिना किसी की ठगी में ने आते थे.
उस युवक से जबानी में हट्टे कट्टे होते हुए भी भीख माँगने का कारण पूछा उसने सारी condition बताई सब जाने के बाद उन्होंने उस भिखारी को एक पैसा तो दे दिया.
परन्तु उसे रोककर उससे पूछा कि यदि अधिक मिल जाय तो क्या करोगे?
आदमी ने कहा कि यदि एक रुपया मिले तो उसका सौदा लेकर गलियों में फेरी लगाने लगूंगा ओर अपनी family परिवार का पोषण करुगा.
यह सुनकर विद्यासागर ने एक रुपया उसे दे दिया और कहा अपने लिए कोई काम शुरू कर लेना, सागर जी को उस आदमी पर confidence दिखाया.
की ये आदमी वाकई अपनी जिंदगी में कुछ करना चाहता है काम शुरू होने के कुछ दिन में वह बड़ा व्यापारी बन गया.
एक दिन विद्यासागर उस रास्ते से निकल रहे थे कि व्यापारी अपनी दूकान से उतरा और उनके चरणों में पड़ गया उन्हें दूकान दिखाने ले गया.
और कहने लगा हे श्रीमान यह सब आपके सहारे से ही सफल हो सका है आपका दिया एक रुपया पूंजी का चमत्कार है.
यह सब देख विद्यासागर प्रसन्न हुए और कहा जिस प्रकार तुमने सहायता प्राप्त की और आगे बड़े ठीक उसी प्रकार का लाभ अल्प जरूरतमंदों को भी देते रहना.
में यह समझूगा की अगर मेरे एक अच्छे काम से कई इंसानो के जीवन में बदलाब आ सकता है इसी प्रकार सब यही करे तो गरीबी दूर हो सकती है.
यह सुनकर व देखकर उस व्यापारी ने वैसा ही करते रहने का वचन दिया जैसा की ईश्वर चन्द्र विद्यासागर ने उसके साथ किया था.
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