नमस्कार दोस्तों, कैसे हैं आप… सक्सेस इन हिंदी एक बार फिर से एक ऐसा विषय लेकर आया है जो सीधा आपसे ताल्लुक रखता है एक ऐसा विषय लेकर जिस पर विचार करना न सिर्फ छात्र-छात्राओं के लिए, बल्कि अभिभावकों के लिए भी बेहद जरूरी है.
मई का महीना चल रहा है यह समय छात्र-छात्राओं के लिए सुकून भरा होता है और माथे पर शिकन ला देने वाला भी होता है सुकून इसलिए कि एग्जाम के बाद स्कूल बंद हो जाते हैं और बच्चे घर पर बेफिक्र होकर मस्ती करते हैं, मूवी देखते हैं, गेम्स खेलते हैं, कहीं घूमने जाते हैं और माथे पर शिकन इसलिए क्योंकि मार्च में दी गई परीक्षाओं के परिणाम भी इसी मई माह में आते हैं.
सभी बच्चो और माता-पिता के मन में भय बना रहता है कि कहीं किसी विषय में कम नम्बर न आ जाएं, किसी में फेल न हो जाएं इसी घबराहट में समय गुजरता है लेकिन दोस्तों सबसे पहले समझना जरूरी है कि घबराने से कोई हल निकलने वाला नहीं है.
परीक्षा परिणाम को भी हमें सकारात्मक रूप में ही लेना चाहिए जो भी परिणाम हो, वह हमें, हमारी ताकत और कमजोरी की पहचान कराता है कि किस विषय में हम मजबूत हैं और किसमें कमजोर है आगे फ्यूचर में किस विषय पर हमें ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है.
कुछ इस तरह छात्र और माता पिता डील करे बोर्ड एग्जाम रिजल्ट्स के साथ-
नंबर आपकी क्षमताओं का आंकलन नहीं कर सकते
हर व्यक्ति की रूचि, इच्छा और क्षमता अलग-अलग होती है कई बार हमारे भीतर एक ऐसी अद्भुत क्षमता होती है जिसका आकलन स्कूल के परीक्षा परिणामों से नहीं किया जा सकता जैसे सुशांत सिंह राजपूत ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की, लेकिन आज हम उन्हें उनके शानदार अभिनय के लिए जानते हैं, न की उनकी इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए इसी तरह कोई अच्छा संगीतकार बन सकता है कोई अच्छा क्रिकेटर जरूरत है अपनी क्षमताओं को पहचानने की.
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बच्चों पर ज्यादा दबाव ना बनाएं अभिभावक
अभिभावकों के लिए भी बेहद जरूरी हैं कि बच्चों पर अकों का अनावश्यक दबाव न बनने दें परीक्षा परिणाम के दिन घर का माहौल अच्छा रखें अगर अपेक्षित परिणाम न आए, तो भी उसका असर बच्चे के मन-मस्तिष्क पर न पड़ने दें.
क्योंकि मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि जब कोई स्टूडेंट फेल होता है तो वह खुद में एक अपराधबोध महसूस करता है इसलिए कम अंक आने या फेल होने की दशा में अभिभावकों को एक दोस्त की तरह बच्चों से बात करनी चाहिए ताकि वह अवसाद में न जाएं.
दूसरे बच्चों से ना करें तुलना
किसी से भी अपनी तुलना न करें और न ही किसी को करने दें… स्कूल के समय में जब विनोद काम्बली और सचिन तेंदुलकर ने ऐतिहासिक तिहरे शतक बनाए थे तब विनोद काम्बली के रनों की संख्या, सचिन के बनाए रनों से ज्यादा थी ऐसे में कोई कम रन होने का हवाला देकर सचिन की क्षमता को कम आंकता तो शायद सचिन आज क्रिकेट के भगवान न कहलाते.
सोच समझकर करें भविष्य का चुनाव
बोर्ड परीक्षा के बाद छात्र जीवन की दिशा उच्च शिक्षा की तरफ बढ़ती है ऐसे में यही एक मौका होता है जब हम अपनी कमजोरियों का ईमानदारी से मूल्यांकन करते हैं और भविष्य में अपने लिए एक बेहतर विकल्प चुनते हैं। इसलिए घबराएं नहीं, सकरात्मक रहें और भविष्य की संभावनाओं पर खूब सोच-समझकर कर विचार करें.
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इस टॉपिक के लिए बस इतना ही हमें उम्मीद है कि हमारा आज का विषय आपके लिए जरूर मददगार साबित होगा हम फिर एक नये विषय के साथ आपकी सेवा में हाजिर होंगे तब तक के लिए नमस्कार.
Nice post
Thanks @Dharam